There will be a direct fight between Congress and BJP!

हरियाणा विधानसभा चुनाव:लोकसभा चुनावों के ट्रेंड बता रहे- कांग्रेस और भाजपा के बीच होगी सीधी लड़ाई !

There will be a direct fight between Congress and BJP!

There will be a direct fight between Congress and BJP!

There will be a direct fight between Congress and BJP!- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I हरियाणा में 1 अक्टूबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबले की संभावना है। ऐसा राजनीतिक पंडित अनुमान लगा रहे हैं। उनका कहना है कि अक्टूबर 2024 का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई होगी। हालांकि जजपा, इनेलो (आईएनएलडी) और आप पार्टी भी इस चुनाव में उतर रहे हैं लेकिन ये दल खुद को किंगमेकर की भूमिका में लाने के लिये चुनाव मैदान में हैं। आप पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने और सब सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने से भाजपा को उममीद है कि मल्टी कॉर्नर कांटेस्ट में उसे जीत हासिल होगी। तीन महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो भाजपा और कांग्रेस ने पांच-पांच सीटें जीती थी।

दस लोकसभा सीटों में फैले 90 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त देखें तो दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस बराबरी की स्थिति में थे। लोकसभा चुनावों के दौरान सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चला कि भाजपा ने 44 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की। वहीं इंडी गठबंधन जिसमें कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी और आम आदमी पार्टी एक सीट पर चुनाव लड़ रही थी, ने 10 में से 46 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई। सीधे सीधे बात करें तो कांग्रेस ने जिन 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था उनमें से 42 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त ली और उसकी सहयोगी आम आदमी पार्टी को कुरूक्षेत्र संसदीय क्षेत्र के चार विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा में भाजपा के 10 साल के शासन का राज्य विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसकी बड़ी वजह यह है कि करीब दो लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं और युवाओं की बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मंत्रिपरिषद ने हाल ही में संविदा कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने तक नौकरी सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी। सैनी ने अपने पूर्ववर्ती एमएल खट्टर द्वारा लिए गए कई निर्णयों को रद्द कर दिया। जैसे क्रीमी लेयर से पिछड़े वर्गों को बाहर करने के लिए आय सीमा को बढ़ाना, सकल वार्षिक आय की गणना के लिए वेतन या कृषि भूमि से आय को बाहर करना, वित्तीय सीमा को बढ़ाना, ई-टेंडरिंग आदि के बिना सरपंचों द्वारा विकास कार्य करना। हालाँकि, ज्वार को रोकने के लिए सैनी के प्रयास बहुत कम और बहुत देरी वाले निर्णय साबित हो सकते हैं। भाजपा को एंटी इंकंबेसी से भी इन चुनावों में जूझना पड़ेगा।

कांग्रेस के सामने टिकट आवंटन बड़ी समस्या

लोकसभा नतीजों के बाद हालांकि कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है लेकिन उसके सामने भी कई समस्याएं हैं। 90 विधानसभा सीटों के लिए 2500 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है। वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस को गुटबाजी झेलनी पड़ सकती है। सबसे पुरानी पार्टी को टिकट वितरण के दौरान समझ से काम लेने की जरूरत होगी। पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ऐसे कई निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां 50 से अधिक आवेदक विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांग रहे हैं। जिसे भी टिकट मिलेगा उसे दूसरों को शांत कर अपने पक्ष में करने के लिये जूझना होगा।

लोकसभा में कुछ कमाल नहीं कर पाई चौटालों की पार्टी 

2024 के लोकसभा चुनाव का एक प्रमुख निहितार्थ राज्य में चौटालाओं का सफाया और जाटों सहित किसानों का कांग्रेस के पीछे एकजुट होना था। इससे दो धु्रवीय विधानसभा चुनाव की संभावना का भी संकेत मिला। इस साल मार्च तक भाजपा के साथ साढ़े चार साल के सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा रही दुष्‍यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) 1 प्रतिशत वोट शेयर भी हासिल करने में नाकाम रही, जबकि उसके मूल संगठन, इंडियन नेशनल लोकदल एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी (आईएनएलडी) को महज 1.74 फीसदी वोट मिले।

जाट फैक्टर अहम, लोकसभा चुनावों में रहे कांग्रेस की ओर

राजनीतिक पंडितों की दलील है  कि अक्टूबर 2024 का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई में तबदील होगा। जजपा और इनेलो (आईएनएलडी) हाशिए पर रह जाएंगे। कांग्रेस और भाजपा के  बीच कड़ा मुकाबला होगा। इस चुनाव में जाट फैक्टर अहम रहेगा। कांग्रेस नेता भूपिंदर हुड्डा अपने कद के कारण मतदाताओं के बीच स्वीकार्यता के मामले में नायब सैनी की तुलना में बेहतर संभावना रखते हैं। कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने वाली गुटबाजी पर राजनीतिक पंडितों की दलील है कियह सबसे पुरानी पार्टी के लिए सामान्य बात है। कांग्रेस हमेशा से गुटबाजी की आदी है। जो भी बड़े नेता हरियाणा में सक्रिय हैं उन्हें अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करके दिखाना होगा।